श्री राम मंदिर – हमारी सभ्यता! विजय – poem on Ram Mandir
पधारो प्रभु! हे मनोहर! चित जीते आपहु युग विगत, अब जीते आपहु चिन्ह, जनम जो लेही, कौशल्या-खेली, सिया संग वन-उपवन धावे; हे प्रभु, अब पुनः विराजो, आओ अयोध्या अब भूल विसारो, आपही अब तो आश दिखावो! निष्प्राण, असहाय, दीन-हीन…