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शुक्रिया… तेरा शुक्रिया! last personal poem
17th May 2019

शुक्रिया… तेरा शुक्रिया! last personal poem

  ऐसे बीच रास्ते छोड़ना अकेले मुझे कितना आसान रहा होगा शायद तुम्हारे लिए। पर कैसे भूल गयी तुम अब यहाँ से पीछे जाऊँ तो ज़िंदगी साथ नहीं देगी और आगे बढ़ा तुम्हारे बिना तो ज़िंदगी का साथ मैं नहीं…

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Firse jine do kavita Hindi Alok
फिरसे जीने दो – कविता (firse jine do Hindi poem)
1st May 2019

फिरसे जीने दो – कविता (firse jine do Hindi poem)

प्रतीक्षा की बहुत अब तक, और स्वप्न देखे ना जाने कितने! प्रेम की ये प्रतिध्वनि, तुम्हारी मुखाकृति का वो प्रतिविम्ब आज भी ह्रदय में मेरे सुसज्जित हैं, यथावत। किन्तु अब, जब पुनः सामने लाया तुम्हें मेरे प्रारब्ध, तब, और विलम्ब…

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