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prem pana to nahin kavita poem
प्रेम बस पाना ही तो नहीं! कविता
16th September 2018

प्रेम बस पाना ही तो नहीं! कविता

  अब कौन कहाँ है? किसे देखूं? प्रश्न किससे करूँ? जख्म हरा है भर जाये शायद, आज कल, महीनों या वर्षों में। पर कौन होगा अब सम्हालने मेरी बिखरती उम्मीदों को? कौन समझेगा मेरे सपनों को? याद है मुझे (तुम्हें…

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Atal Bihari Vajpayee atal ji kavita
Atal Ji – एक समर्पित कविता
16th August 2018

Atal Ji – एक समर्पित कविता

अनवरत, सतत, निरंतर बिना रुके, बिना थमे, रखे बिना भेद-अंतर चलता रहेगा एक विचार जो जगाया है उसने अपने जीवन की आहुति देकर। राज-काज, राज-धर्म और धर्म सिखाया जिसने अपने वाणी की सर्वोच्च शीर्ष पर खुद भी बन गया वो…

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