फिर चला हूँ अपने पथ पर… Hindi Poem
मैं चला था अपने पथ पर, गंतव्य की खोज में निकला था। मुड़ा फिर, अचानक, हँसा, रोया। फिर मुड़ा हूँ अभी, पड़ाव का अंत! फिर चला हूँ अपने पथ पर और बिना मुड़े अब पहुँचना है, भाग्य-निहित गंतव्य तलाशना…
मैं चला था अपने पथ पर, गंतव्य की खोज में निकला था। मुड़ा फिर, अचानक, हँसा, रोया। फिर मुड़ा हूँ अभी, पड़ाव का अंत! फिर चला हूँ अपने पथ पर और बिना मुड़े अब पहुँचना है, भाग्य-निहित गंतव्य तलाशना…
Had the opportunity to take a dip in the holiest of the rivers in the world - Ganga. We all worship our mother Ganga and respect it as a lively Goddess who is holy enough to wash away the sins…
गंगा, निर्मल, अविरल, निश्छल, शीतल, उज्जवल स्वर्ग-जलधि, पाप-संहारिणी, करूँ मैं यदि सर्वस्व-समर्पण करेगी तू मेरा पालन-पोषण? हे माँ, विराग दो! अब बंधनो से निकल जाने दे। कितने ही हस्तिनापुर बन गए हैं मन की दुर्गम खोहों में, स्वार्थ और…
I know it’s difficult. I really do know that because I have felt that too. However, to wake up in the morning and smile to the rising Sun will not take away anything from you. If you do it, I…
The Chariot Charioteer Archer the perfect arc Finite Infinite Certain Random Sustainer Slayer Let me die; so that I become immortally immune to this wheel of magnanimous eternity. a poem by Alok Mishra
पथ पर जो चलो तुम पथिक, एक-एक पग में अडिग विश्वास रखो। चलो, तो स्वयं चलो और भाग्य से पृथक, अपने कर्मों को सजग करो। प्रवाह में विचलित वो टूटी टहनी न बनो जो वहीँ तक जाएगी जहाँ नदी…
पंख तो दे दिये अरमानों को तुमने अब बंदिशों को भी टूट जाने दो अनंत तक देख लेने दो तुम्हें समीप से अब दायरों को पीछे छूट जाने दो प्रेम में कोई बंधन तो नहीं होता? बताओ अगर मुहब्बत…
A heart too big? A mind too narrow? A life seemingly unending? A world too daunting to live? Where is the truth I was looking for? Does love end? Does love fail? Seldom often rarely never always Yes, a hiatus…
जैसे निर्वाण मिला हो मेरी मोक्ष की महत्वाकांक्षा को बस एक बार जो छू लेते हैं लब तेरे मेरे प्रफुल्लित अधरों को जो बस अंकुरित से हुए हैं प्रेम की बारिश में! मेरी इच्छाओं की धुंध पे पड़ती हैं जब…
It strikes; you wish or not. It does strike - the vehement anguish of knowing everything that was, is and will be ahead. I saw your rise. I see my fall. Surmise. I knew always. My truth is beyond your…