प्रेम बस पाना ही तो नहीं! कविता
अब कौन कहाँ है? किसे देखूं? प्रश्न किससे करूँ? जख्म हरा है भर जाये शायद, आज कल, महीनों या वर्षों में। पर कौन होगा अब सम्हालने मेरी बिखरती उम्मीदों को? कौन समझेगा मेरे सपनों को? याद है मुझे (तुम्हें…
अब कौन कहाँ है? किसे देखूं? प्रश्न किससे करूँ? जख्म हरा है भर जाये शायद, आज कल, महीनों या वर्षों में। पर कौन होगा अब सम्हालने मेरी बिखरती उम्मीदों को? कौन समझेगा मेरे सपनों को? याद है मुझे (तुम्हें…
अनवरत, सतत, निरंतर बिना रुके, बिना थमे, रखे बिना भेद-अंतर चलता रहेगा एक विचार जो जगाया है उसने अपने जीवन की आहुति देकर। राज-काज, राज-धर्म और धर्म सिखाया जिसने अपने वाणी की सर्वोच्च शीर्ष पर खुद भी बन गया वो…
कवि हूँ या नहीं मैं दुनिया बाद में निर्णय कर ले पर मेरी कविताओं की तो आत्मा तुम हो शब्द मेरे भले ही उभरते कागजों पे हों एक-एक शब्द की वासना तुम हो तुम हो तो मैं हूँ और…
देखा तुम्हें मैंने, फिरसे... फिरसे देखा तुम्हें आज मैंने जब आके तुम सुबह-सुबह मेरे पास बैठी और भींगे बालों से टपकती वो दो-चार बूंदें छू गयी फिरसे शरीर के अंदर छुपी मेरी आत्मा को। .. देखा मैंने फिर आँखों में…
अब जाके टुटा मेरा सपना और मिले आमने-सामने सारे जिन्हें मैंने माना था कभी पराया और अपना। राह बहुत उज्जवल थी चला था जब मैं देख मंजिल को सामने साहसी क़दमों के साथ बस कुछ पग चलके सफलता की शर्माती…
किसी चौराहे पे किसी दोराहे पे किसी मोड़ पे कभी तो दिखो जीवन के किसी छोड़ पे और सुकून मिले मेरी तरसती आँखों को और तृष्णा मिटे इस बेरुखे मन की जो कोसता रहता है मेरे सूनेपन को, अक्सर…
कह दूँ भी तुम्हें तो किन अल्फ़ाजों में की दिल ने मेरे बस कैसे चुना है तुम्हें? अब तो प्यास भी जैसे सुकून सी लगती है जबसे तुम्हारी धड़कनों में भी अपना ही नाम सुना मैंने! अब तो तुम…
राष्ट्र विरोधी ताकतों के नाम एक सन्देश कविता के माध्यम से कर ही दो अब भारत के टुकड़े और ले लो कोई कोना तुम लोग, वहीं ख़ुशी से नाचो गाओ विरोध स्वर में नारे लगाओ अपने टुकड़े को भी…
वीणावादिनी, स्वरा, विद्यादायिनी देवी ज्ञान की विवेक की जननी शत शत नमन तेरे चरण माँ सरस्वती। मृदु स्वर कंठ को विवेक मन को सुविचार जन जन को पुन्ज ज्ञानप्रकाश की क्लेषित जीवन को सदा तू देती। शत शत नमन तेरे…
ये वामपंथ क्या है? कोई मुझे समझाएगा? देशभक्ति का जूनून और उसमें घुलता लहू, मेघ सी हुंकार और सिंह सी गर्जना, ये तो कर्मवीर हैं जानते हैं बस सर्वस्व समर्पण करना। अब वामपंथी हमारे, बड़े विचारों वाले सिखाएंगे तोप चलाने…