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poem by alok mishra love poetry
एक चन्द्रमा – हिंदी कविता – Poem
12th November 2019

एक चन्द्रमा – हिंदी कविता – Poem

प्रश्न और कठिन प्रश्न, उत्तर या निरुत्तर, समता या विषमता, गहराई या ऊंचाई, सुःख और संताप - प्रिये, तुम्हारे चकोर-चक्षुओँ के लिए मैं एक चन्द्रमा अपने प्रयत्नों से अवश्य संवारूँगा!

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Independence day poems Hindi
स्वतंत्रता के प्रहरी – Independence Day Poem – Hindi
15th August 2019

स्वतंत्रता के प्रहरी – Independence Day Poem – Hindi

  विपक्ष के शोर और सत्तापक्ष की गर्जन, झुलसते मेघ और ठिठुरती धूप, पिघलते हिम और हिम-मग्न होता लावा, गतिमान पृथ्वी और अनंत आकाश साक्षी हैं इनके प्रताप के जिनके सिंह समान अडिग और अविरल साहस से समग्र संसार हतप्रभ…

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tera shukriya poem alok mishra hindi sad poems heart break
शुक्रिया… तेरा शुक्रिया! last personal poem
17th May 2019

शुक्रिया… तेरा शुक्रिया! last personal poem

  ऐसे बीच रास्ते छोड़ना अकेले मुझे कितना आसान रहा होगा शायद तुम्हारे लिए। पर कैसे भूल गयी तुम अब यहाँ से पीछे जाऊँ तो ज़िंदगी साथ नहीं देगी और आगे बढ़ा तुम्हारे बिना तो ज़िंदगी का साथ मैं नहीं…

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fir chala hun heartbroken poem
फिर चला हूँ अपने पथ पर… Hindi Poem
8th April 2019

फिर चला हूँ अपने पथ पर… Hindi Poem

  मैं चला था अपने पथ पर, गंतव्य की खोज में निकला था। मुड़ा फिर, अचानक, हँसा, रोया। फिर मुड़ा हूँ अभी, पड़ाव का अंत! फिर चला हूँ अपने पथ पर और बिना मुड़े अब पहुँचना है, भाग्य-निहित गंतव्य तलाशना…

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हे गंगा माँ, विराग दो! - Ganga Stuti poem in Hindi
हे गंगा माँ, विराग दो! – Ganga Stuti Hindi
5th April 2019

हे गंगा माँ, विराग दो! – Ganga Stuti Hindi

  गंगा, निर्मल, अविरल, निश्छल, शीतल, उज्जवल स्वर्ग-जलधि, पाप-संहारिणी, करूँ मैं यदि सर्वस्व-समर्पण करेगी तू मेरा पालन-पोषण? हे माँ, विराग दो! अब बंधनो से निकल जाने दे। कितने ही हस्तिनापुर बन गए हैं मन की दुर्गम खोहों में, स्वार्थ और…

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Tumhen jab chalna ho poem Hindi Motivational Alok Mishra
पथ पर जो चलो तुम पथिक – Motivational Poem
27th March 2019

पथ पर जो चलो तुम पथिक – Motivational Poem

  पथ पर जो चलो तुम पथिक, एक-एक पग में अडिग विश्वास रखो। चलो, तो स्वयं चलो और भाग्य से पृथक, अपने कर्मों को सजग करो। प्रवाह में विचलित वो टूटी टहनी न बनो जो वहीँ तक जाएगी जहाँ नदी…

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Love Poems in Hindi Alok Mishra Poet
बंदिशों को टूट जाने दो… love poem in Hindi
22nd March 2019

बंदिशों को टूट जाने दो… love poem in Hindi

  पंख तो दे दिये अरमानों को तुमने अब बंदिशों को भी टूट जाने दो अनंत तक देख लेने दो तुम्हें समीप से अब दायरों को पीछे छूट जाने दो प्रेम में कोई बंधन तो नहीं होता? बताओ अगर मुहब्बत…

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firse mahabharata poem sainik India Alok
फिरसे एक महाभारत अब ठन जाने दो! (a poem in the memory of Pulwama martyrs)
16th February 2019

फिरसे एक महाभारत अब ठन जाने दो! (a poem in the memory of Pulwama martyrs)

The Episode of Pulwama Terror Attack फिर से निकलीं कुछ अर्थियां हैं उसी रास्ते, जिस रास्ते कुछ गये थे शायद पिछले माह ही और फिर जायेंगे कुछ किसी दिन और सही। उदित नहीं हुए होंगे कुछ सूर्य फिर कभी और…

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My Poetic Angst Alok Mishra poem
प्रेम, तुम, मैं और हम…
22nd December 2018

प्रेम, तुम, मैं और हम…

मेरे स्वप्नों को वसंत-स्वप्न के बाहर प्रेम-सत्य की धरा पर, कुछ ऐसे तुमने उतारा है, प्रिये, मानो जीवंत हो गए हों पुनः वो सारे पुष्प जो मुरझाये से थे रेतीले सागर के गहराई में, पीड़ित,वंचित और उपेक्षित से। छूकर प्यार…

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one year of love poem
एक बरस निकल गया – Hindi poem on love’s journey
31st October 2018

एक बरस निकल गया – Hindi poem on love’s journey

  कुछ तो था कहीं न कहीं अधूरा मुझमें, और शायद तुम में भी। वर्षों की तन्हाई, एक लम्बी जुदाई, अलग-अलग राहों पे अपने-अपने सफर, अनजान, खोये अपने जीवन में हम-तुम कुछ तो हुआ तुम्हें और फिर मुझे भी की…

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