skip to Main Content
Firse jine do kavita Hindi Alok
फिरसे जीने दो – कविता (firse jine do Hindi poem)
1st May 2019

फिरसे जीने दो – कविता (firse jine do Hindi poem)

प्रतीक्षा की बहुत अब तक, और स्वप्न देखे ना जाने कितने! प्रेम की ये प्रतिध्वनि, तुम्हारी मुखाकृति का वो प्रतिविम्ब आज भी ह्रदय में मेरे सुसज्जित हैं, यथावत। किन्तु अब, जब पुनः सामने लाया तुम्हें मेरे प्रारब्ध, तब, और विलम्ब…

Read More
fir chala hun heartbroken poem
फिर चला हूँ अपने पथ पर… Hindi Poem
8th April 2019

फिर चला हूँ अपने पथ पर… Hindi Poem

  मैं चला था अपने पथ पर, गंतव्य की खोज में निकला था। मुड़ा फिर, अचानक, हँसा, रोया। फिर मुड़ा हूँ अभी, पड़ाव का अंत! फिर चला हूँ अपने पथ पर और बिना मुड़े अब पहुँचना है, भाग्य-निहित गंतव्य तलाशना…

Read More
Back To Top
Search