आवेग-प्रफुल्लित, आनन्दित, असिम और अथाह, अनंत, अनवरत, आह्लादित सागर की उठती-गिरती लहरें यूँ ही…
कविता तुम हो – Hindi Poem
कवि हूँ या नहीं मैं
दुनिया बाद में निर्णय कर ले
पर मेरी कविताओं की तो आत्मा तुम हो
शब्द मेरे भले ही
उभरते कागजों पे हों
एक-एक शब्द की वासना तुम हो
तुम हो तो मैं हूँ
और है मेरी कविता
इस प्रेम के सूरदास की
उपासना तुम हो!
by Alok Mishra
dedicated to M
behad umda
ek baar meri site bhi jarur dekhe
Very good poem Alok! Samajh me ati hai muhabbat bhi!
Kya bat hai! Bahut sundar Kavita!