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मैं वहाँ भी था। Main Wahan Bhi Tha | Hindi Poem |
17th October 2016

मैं वहाँ भी था। Main Wahan Bhi Tha | Hindi Poem |

बिखरे पते, सूखे वन-उपवन, प्यासे जलाशय, व्याकुल मानव मन... मैं वहाँ भी था! जाने कितने दुःशासन, कितने महाभारत समर और कितनी द्रौपदियों के चीर हरण, हाँ, मैं वहाँ भी था! खिले वसंत की अरुणाई, मानो संसार के मुख मंडल पे…

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Poem Dedicated to Women of Rajsthan Who Walk Endlessly for Water
2nd October 2016

Poem Dedicated to Women of Rajsthan Who Walk Endlessly for Water

जल   श्वानों के शौक हैं तैराकी मस्ती जल के सैलाबों में, यहाँ थकती है माँ कि छाती, बढती है वो निरंतर बिना बैठे और सुस्ताती | लिये गगरी वो निकल पड़ी खाली पैर बालू के चादर पे, हे नभ…

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Bharat Mata poem JNU Alok
Hindi Poem on JNU Anti India Slogans
16th February 2016

Hindi Poem on JNU Anti India Slogans

Hindi Poem to all those who are supporting the anti-national activities in JNU under the camouflage of 'freedom of speech'. देशद्रोहियों को समर्पित एक कविता कवि - आलोक मिश्रा माँ भारती की पीड़ा ये कैसी आजादी? by - Alok Mishra…

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