मैं वहाँ भी था। Main Wahan Bhi Tha | Hindi Poem |
बिखरे पते, सूखे वन-उपवन, प्यासे जलाशय, व्याकुल मानव मन... मैं वहाँ भी था! जाने कितने दुःशासन, कितने महाभारत समर और कितनी द्रौपदियों के चीर हरण, हाँ, मैं वहाँ भी था! खिले वसंत की अरुणाई, मानो संसार के मुख मंडल पे…