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Hindi Poem on JNU Anti India Slogans

Hindi Poem to all those who are supporting the anti-national activities in JNU under the camouflage of ‘freedom of speech’.

देशद्रोहियों को समर्पित एक कविता
कवि – आलोक मिश्रा

माँ भारती की पीड़ा

ये कैसी आजादी?

by – Alok Mishra

Bharat Mata poem JNU Alok
“काश्मीर मांगे आजादी”

अरे वो तो चाहते हैं चैन की ज़िन्दगी
सुकून और खुशहाल दिन
नहाया सूरज के धुप में
जो आती है माँ भारती के आँचल की खुशबु लिए…
क्यों आजादी के आड़ में गुलामी की करते हो वकालत?
क्यों छलनी करते हो उस माँ का सीना
जिसने जना है तुम्हें और पाला?
जिसने खुद भूखे रहके भी
लाया तेरे लिए निवाला,
क्या उसके ही ‘टुकड़े-टुकड़े’ कर दोगे?

‘घर घर से अफज़ल’
क्यों निकलोगे?
क्यों उस देश के शत्रु को
तुम देशभक्त बताओगे?
कहने को तो वामपंथ हो
पर क्यों आतंकवाद को धर्म बनाते हो?
न्याय की बातें करने वाले
क्यों अन्याय पे उतर आते हो?
खाते पिते हो भारत का
पर गुण पाक के गाते हो?
अरे धिक्कार तुम्हारे जीवन को
जो ऐसी शिक्षा पाते हो!

‘लड़कर लेंगे आजादी’
क्यों लड़ोगे?
अब कैसी होगी आजादी?
सुबह में गाली, शाम में गाली
ऊपर से उन पत्रकारों की ताली
कभी देश तो कभी राम भगवान
कभी प्रधानमंत्री
तो कभी देश की शान
क्या इनको गाली देना
और खुले में जहर उगलना
काफी नहीं ये आजादी?

फिर क्यों
‘भारत की बर्बादी तक जंग रहेगी जंग रहेगी?’
अब कैसी होगी बर्बादी?
तुम जैसे सपूतों को पाके
बड़ी धन्य हुई
बड़ी धन्य हुई
हाँ मैं बड़ी धन्य हुई!

 

I have to say to all those who shout anti-national slogans – please think 100 times before you abuse mother INDIA. JNU is not a place to polish your political career; that’s an institution and a place meant to study. If you keep behaving like this, I am afraid a day will come when people will be afraid sending their children to this monarch of intellect. Look, and then leap either ways! Be with the nation please.

 

Alok Mishra

First and foremost a poet, Alok Mishra is an author next. Apart from these credentials, he is founder & Editor-in-Chief of Ashvamegh, an international literary magazine and also the founder of BookBoys PR, a company which helps writers brand themselves and promote their books. On this blog, Alok mostly writes about literary topics which are helpful for literature students and their teachers. He also shares his poems; personal thoughts and book reviews.

This Post Has 7 Comments

  1. अब जो न बोले भारत माता की जय

    उसको तिरंगे का भय दिखना होगा

    अब हर दिल मे तिरंगा लहलहाना होगा

    अब सबको बन्दे मातरम गाना होगा

    अब जो न बोले भारत माता की जय

    उसको तिरंगे का भय दिखना होगा

    मंदिर माजिद का सम्मान होगा

    टोपी तिलक पर हमको अभिमान होगा

    अब बर्दास्त ना भारत माता का अपमान होगा

    अब तो जागो वर्ण बहुत कुछ गवाना होगा

    अब जो न बोले भारत माता की जय

    उसको तिरंगे का भय दिखना होगा

    अब हर दिल मे तिरंगा लहलहाना होगा

    अब सबको बन्दे मातरम गाना होगा

    Chandra Prakash Yadav
    http://poem-shayari.blogspot.in/

  2. Wow! What great display of emotions!
    It is really nice one! A good reply to all those anti national JNU fringe!
    Good poem

  3. Ek Hindustani ke liye isse jyada sharm ki bat kya hogi! Ye kaise padhai padhne wale hain ki ma bharti ke hi tukde tukde karne ki bat karte hain? Dhikkar hai aise desh ke gaddaron pe!
    Jai Hind!

  4. You are a beautiful young man, with such a good heart. It doesn’t matter, I think, if people agree or disagree with you. They know that you speak out of the most genuine part of yourself. I appreciate your candor and kindness, which are rolled into one.

    1. Many thanks for your comment, ma’am! Sure! People are there to disagree; we have to keep our voices up and loud (if we are true). Thank you,
      Alok

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