आवेग-प्रफुल्लित, आनन्दित, असिम और अथाह, अनंत, अनवरत, आह्लादित सागर की उठती-गिरती लहरें यूँ ही…
मैं और तुम – the valentine poem
काश वो वक्त ठहर जाता
और मैं समेट लेता
सारी खुशियाँ जो
लायी थी मेरे चेहरे पे
तुम्हारे चेहरे की एक झलक ने!
दिन गुजरे
और महीने
और फिर साल
साल दर साल
बस निकलते गये
मानो जैसे सबने ठान ली हो
नदियों के जैसे बह जाने को …
समय की लहरों ने
कभी दूर तो कभी पास किया मुझे
और तुम्हें
एक दूसरे के।
अलग तो कभी हम हो नहीं पाये
और न हो सकते हैं
क्यूंकि
रिश्ता तो अपना दिलों का है
जो अनछुआ है
खास मुहब्बत के दिनों से!
for Valentine’s day
for the love
for you
for me
for M
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