अनवरत, सतत, निरंतर
बिना रुके, बिना थमे,
रखे बिना भेद-अंतर
चलता रहेगा एक विचार
जो जगाया है उसने
अपने जीवन की आहुति देकर।
राज-काज, राज-धर्म और धर्म
सिखाया जिसने
अपने वाणी की सर्वोच्च शीर्ष पर
खुद भी बन गया वो
आज एक राह
वो पथिक जो चला था
अकेले कभी,
आज काफिले पे उसके
दुनिया आयी है श्रद्धा-सुमन लेके!
हाँ कभी कभार दुःख अनायास हो जाता था किसी राजनेता के देहांत पर… पर ये कभी नहीं हुआ था की कभी मेरे आँखों से आंसू निकले हों! पर आज ऐसी घटना हुई जिसने मुझे बस इतना ही दुखी कर दिया की सहसा ही आँखों से आंसू निकल पड़े। अटल जी एक राजनेता ही नहीं अपितु मुझ जैसे कितने ही युवाओं के लिए उस द्रोणाचार्य के समान थे जिन्हें बस देख भर के हमने राष्ट्र समर्पित जीवन जीने की प्रेरणा ली। और मैं तो कुछ लिख भी लेता हूँ माँ सरस्वती की कृपा से, मेरे लिए तो वो शब्द-गुरु भी थे जिनकी देशभक्ति और दर्शन से ओत-प्रोत कवितायेँ पढ़कर मैंने बहुत कुछ सीखा! भले ही आज उनका देहांत हो गया हो और अटल जी भू लोक को छोड़के बैकुंठ धाम पहुंच गए हों, उनके विचार सदा हमारे बीच रहेंगे।