कवि हूँ या नहीं मैं
दुनिया बाद में निर्णय कर ले
पर मेरी कविताओं की तो आत्मा तुम हो
शब्द मेरे भले ही
उभरते कागजों पे हों
एक-एक शब्द की वासना तुम हो
तुम हो तो मैं हूँ
और है मेरी कविता
इस प्रेम के सूरदास की
उपासना तुम हो!
by Alok Mishra
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