पंख तो दे दिये अरमानों को तुमने
अब बंदिशों को भी टूट जाने दो
अनंत तक देख लेने दो तुम्हें समीप से
अब दायरों को पीछे छूट जाने दो
प्रेम में कोई बंधन तो नहीं होता?
बताओ अगर मुहब्बत में फासले होते हों तो।
शब्द तो हार गए कबके इसे परिभाषित करने के प्रयत्न में
अगर कोई अल्फ़ाज़-बयां चाहत का हो तो बता दो।
जताओ न चाहतें अब दूर से ऐसे
हमारे बिच के हिमगिरि को
अब प्रेम-धरा में घुल जाने दो,
छोडो अब सांसें तन्हाई में लेना
सांसें अब दूरियों की घुट जाने दो
पंख तो दे दिये अरमानों को तुमने
अब बंदिशों को भी टूट जाने दो …