Alok Mishra

मेरी कहानी, मेरा फ़साना (meri kahani, mera fasana) – a poem

meri kahani mera fasana

 

कह दूँ भी तुम्हें तो किन अल्फ़ाजों में
की दिल ने मेरे
बस कैसे चुना है तुम्हें?

अब तो प्यास भी जैसे सुकून सी लगती है
जबसे तुम्हारी धड़कनों में भी
अपना ही नाम सुना मैंने!

अब तो तुम हो
और मैं हूँ बस
और ये ख़्वाब जो बुना है मैंने!

मिटा भी दे कोई अब हस्ती मेरी
तो कैसे रोक पायेगा
मेरे इश्क़ की आग से उठाया जो धुआँ है मैंने?

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