Alok Mishra

स्वतंत्रता के प्रहरी – Independence Day Poem – Hindi

Independence day poems Hindi

 

विपक्ष के शोर और सत्तापक्ष की गर्जन,
झुलसते मेघ और ठिठुरती धूप,
पिघलते हिम और हिम-मग्न होता लावा,
गतिमान पृथ्वी और अनंत आकाश
साक्षी हैं इनके प्रताप के
जिनके सिंह समान अडिग और
अविरल साहस से समग्र संसार
हतप्रभ और अचंभित है –
यही तो हैं, यही तो हैं
हमारी अमूल्य स्वतंत्रता के निःस्वार्थ प्रहरी!
हर बाण के घाव से
जिनकी चौड़ी छाती,
शत्रुओं के इतिहास से
गहरी जिनकी बलिदानों की थाती,
आओ, आओ की तिरंगे में लिपट के
फिर से कोई शव आया है,
फिर किसी कायर ने
धोखे से घात लगाया है;
प्रणाम करो इस भारत-पुत्र को
जो अपनी मष्तक माँ को समर्पित कर आया है!

हाँ, हर्षो-उल्लास में हम स्वतंत्रता के गीत गायें;
नभ की चीर के छाती, मेघों से अभिनन्दन वर्षा करवायें;
किन्तु हम उनका समरण तो कर लें
जो किंचित कल आयें ना आयें …

 

dedicated to all my Indian army brothers… you keep us independent; you keep us safe! Jai Bharat! Bharat Mata Ki Jai!

Wish you all a very Happy Independence Day!

15 August 2019, 03: 50 AM

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