Alok Mishra

शुक्रिया… तेरा शुक्रिया! last personal poem

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ऐसे बीच रास्ते छोड़ना अकेले मुझे
कितना आसान रहा होगा शायद तुम्हारे लिए।
पर कैसे भूल गयी तुम
अब यहाँ से पीछे जाऊँ तो ज़िंदगी साथ नहीं देगी
और आगे बढ़ा तुम्हारे बिना
तो ज़िंदगी का साथ मैं नहीं दे पाउँगा!

पर ठीक है
चलो तुम्हारे इस सिले को मज़बूरी का ही
बस नाम देते हैं।

मेरी ज़िन्दगी में आने का शुक्रिया!
मुझे मुहब्बत सिखाने का शुक्रिया!
मुझे मुझसे मिलाने का शुक्रिया!
जब जरुरत तुम्हारी सबसे ज़्यादा थी,
ऐसे बीच राह में हाथ छोड़ जाने का शुक्रिया!

 

let the pain be buried. let the soul rise again. let the heart beat once more. let the breaths run as far as it can. let me live. and then, let me die. i won’t complain about you. you did what you had to. i will do what i have to.

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