Alok Mishra

मैं और तुम – the valentine poem

valentine poem main aur tum

काश वो वक्त ठहर जाता
और मैं समेट लेता
सारी खुशियाँ जो
लायी थी मेरे चेहरे पे
तुम्हारे चेहरे की एक झलक ने!

दिन गुजरे
और महीने
और फिर साल
साल दर साल
बस निकलते गये
मानो जैसे सबने ठान ली हो
नदियों के जैसे बह जाने को …

समय की लहरों ने
कभी दूर तो कभी पास किया मुझे
और तुम्हें
एक दूसरे के।

अलग तो कभी हम हो नहीं पाये
और न हो सकते हैं
क्यूंकि
रिश्ता तो अपना दिलों का है
जो अनछुआ है
खास मुहब्बत के दिनों से!

 

for Valentine’s day

for the love

for you

for me

for M

Exit mobile version