कभी तो मिलो – हिंदी कविता | Kabhi to Milo – Hindi Poem
Alok Mishra
किसी चौराहे पे
किसी दोराहे पे
किसी मोड़ पे
कभी तो दिखो
जीवन के किसी छोड़ पे
और सुकून मिले
मेरी तरसती आँखों को
और तृष्णा मिटे
इस बेरुखे मन की
जो कोसता रहता है
मेरे सूनेपन को,
अक्सर
मेरी तन्हाइयों में
खोजता रहता है
तुम्हारी परछाइयों को
…….
ज़िद है तुम्हें पा लेने की
तुम्हारे वजूद को
मेरे अस्तित्व में डूबा लेने की
और मिल जाने को तुमसे ऐसे
जैसे खो जाती तो बारिश की बूँद
सागर में मिलके!