वीणावादिनी, स्वरा, विद्यादायिनी
देवी ज्ञान की
विवेक की जननी
शत शत नमन
तेरे चरण
माँ सरस्वती।
मृदु स्वर कंठ को
विवेक मन को
सुविचार जन जन को
पुन्ज ज्ञानप्रकाश की
क्लेषित जीवन को
सदा तू देती।
शत शत नमन
तेरे चरण
माँ सरस्वती।
कुंठित मानव, रुदन क्रदन
कुंठित हुए हैं जन भाव
अज्ञानता के वन में विचरण
कर रहे कृतियाँ और काव्य!
तेरे द्वार खड़े हैं हम
लेकर अपनी व्यथा और आश।
शत शत नमन
तेरे चरण
माँ सरस्वती।
To everyone, a very happy Vasant Panchami! May goddess Saraswati shower on you blessings and all the wisdom you might deserve! Jai Ma Sharade!