देशभक्ति का जूनून
और उसमें घुलता लहू,
मेघ सी हुंकार
और सिंह सी गर्जना,
ये तो कर्मवीर हैं
जानते हैं बस
सर्वस्व समर्पण करना।
अब वामपंथी हमारे,
बड़े विचारों वाले
सिखाएंगे तोप चलाने वालों को
संयम से संवाद करना?
अपनी ही माता के
मष्तक की संधि करना?
विचारकों,
खिंच लो कदम पीछे
छुप जाओ किसी कोने में
ये वही वीर हैं भारत के
जिनके बचपन बीते बंदूकें बोन में।
जब दुश्मन की गोली आती
और वो सहती है इनकी छाती
तो दर्शनशास्त्र के पाठ
हमारे सपूतों को न पढ़ाओ…
हाँ, इनके भी सलाम लाल ही होते हैं
पर खून से जो वामपंथी बहा नहीं सकते…