Alok Mishra

श्री राम मंदिर – हमारी सभ्यता! विजय – poem on Ram Mandir

Ram mandir ayodhya peom

 

पधारो प्रभु! हे मनोहर!

चित जीते आपहु युग विगत,

अब जीते आपहु चिन्ह,

जनम जो लेही, कौशल्या-खेली,

सिया संग वन-उपवन धावे;

हे प्रभु, अब पुनः विराजो,

आओ अयोध्या अब भूल विसारो,

आपही अब तो आश दिखावो!

निष्प्राण, असहाय, दीन-हीन

आपन भक्त अब पार लगावो।

चन्द्रमुख, कमलनयन, सहज प्रभु – विनय।

धनी-दरिद्र, सुखी-दुःखी, राजा-रंक सब संत कहे – 

सियावर रामचंद्र की जय!

 

poem by Alok Mishra

4:00 AM, IST

The morning which saw the day of grand celebration and a day which will be immortalised in the history of India as a day that saw the victory of Indianness, Indian civilisation and Indian ethos over the evil-eyed invasion of barbarians and inhuman invaders who looted India for many centuries!

जय श्री राम!

JAI SRI RAM!

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