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अटल बिहारी वाजपेयी जी और उनकी कवितायेँ!

“पथ पर चलते चलते ही वह राह बन गया,
तिल-तिल कर जलते जलते ही दाह बन गया,
वह कैसा था भक्त स्वयं भगवान बन गया
कुम्भकार की कीर्ति बन निर्माण बन गया!”

 

अटल बिहारी वाजपेयी जी और उनकी कवितायेँ!

 

जब भी अटल जी पुरुषार्थ से भरी कवितायेँ सुनता हूँ आज के लम्पट कवियों की फौज महज एक हुजूम सी लगती है जो शायद कविता करना ही भूल गए हैं! मैं भी अपनी कविताओं को अटल जी के जोशीले स्वरों से लाख गुना या उससे भी ज्यादा ही तुच्छ मानता हूँ क्यूंकि अटल बिहारी वाजपेयी जी एक ऐसे कवि थे जिनको हम शायद ही किसी पंक्ति में खड़ा कर पाएं! ऊपर की पंक्तियाँ देखके शोणित भी उबल जाता है और आंसू भी निकल आते हैं… क्या मनोस्थिति होगी अटल जी की जब उन्होंने एक कुम्भकार की कीर्ति को ही निर्माण बना दिया! क्या वो खुद ही एक कीर्ति से निर्माण नहीं बन गए हैं? क्या वो प्रखर राष्ट्रवादी कवि खुद ही राह नहीं बन गए हैं?

उनकी कविताओं में जूनून था; इतिहास की झलक थी; वर्त्तमान की दशा थी और भविष्य के स्वप्न भी थे। पर इन सबसे कहीं ऊपर, अटल जी की कविताओं में जनमानस के लिए एक सीख होती है। वो सीख कहीं न कहीं आज की कविताओं से ओझल है – और हो भी क्यों नहीं? हमने अपनी जिंदगी की दिशा-दशा ही ऐसी बना ली है। किनको फुर्सत है की हमारे महाकाव्यों का एक सृजनात्मक अध्ययन कर निचोड़ निकाले और लोगों को ये बताये की यहाँ बस इंसान ही नहीं वानर भी स्त्री रक्षा को तत्पर रहते हैं? हमें तो बस अपनी विचारधारा थोपनी है! ऐसे, वैसे या कैसे भी!

“चकाचौंध दुनिया ने देखी
सीता के सतीत्व की ज्वाला,
विश्व चकित रह गया देखकर
नारी की रक्षा-निमित जब
नर क्या वानर ने भी अपना
महाकाल की बलि-वेदी पर,
अगणित होकर
सस्मित हर्षित शीश चढ़ाया।”

अटल जी बस एक कवि के तौर पर भी शायद उतने ही लोकप्रिय होते जितनी लोकप्रियता उन्हें राजनेता और देश के प्रधानमंत्री के तौर पर मिली। उनकी कविता में, ‘पंक्ति पंक्ति में,’ ‘स्वर स्वर में,’ एक ‘अमर आग’ निसंदेह ही थी जो उन्हें औरों से कहीं आगे खड़ा करती है! अटल जी स्वयं लिखते हैं की “कविता उन्हें घुट्टी में मिली थी।” और उनका ओजस्वी काव्य-तेज ये कहता भी है! आज वो भले ही वृद्धावस्था की वेला में शारीरिक दुर्बलता के आगे और समय की बलवान एवं निर्मम रूप से पराजित होके बैठे हुए हों पर उनका मन जरूर कवितायेँ कर रहा होगा क्यूंकि वो एक कवि ही हैं – आज हैं, कल थे और हमेशा रहेंगे! उनकी कविताओं के स्वर भारत के नौजवानों को अपनी गौरवमयी इतिहास की याद दिलाते ही रहेंगे। और सिर्फ इतिहास ही नहीं बल्कि आने वाली हर बाधाओं को पार कर बस चलते जाने की एक ललक भी हमें उनकी कविताओं के माध्यम से शायद सबसे बेहतर रूप में मिलती है!

“कुश-काँटों से सज्जित जीवन,
प्रखर प्यार से वंचित यौवन,
नीरवता से मुखरित मधुवन,
पर-हित अर्पित अपना तन-मन,
जीवन की शत – शत आहुति में,
जलना होगा, गलना होगा।
कदम मिलाकर चलना होगा।”

इन पंक्तियों में बस आहूत हो भर जाने का जोश और उन्माद ही नहीं बल्कि एक सजग एवं एकत्र समाज की परिकल्पना भी है जो हमें सहज ही दिख जाती है! उनकी काव्य-पटल वर्त्तमान के कवियों के लिए एक पाठशाला से कम नहीं है। युवाओं को, जिन्हें कविता करना अच्छा लगता है, अटल बिहारी वाजपेयी जी को जरूर पढ़ना चाहिए! कम से कम बड़ी से बड़ी बातें कह जाना और लम्बी लम्बी काव्य रचनाओं में भी एक निरंतर सृजन बनाये रखना शायद ही कोई समकक्ष कवि उनसे बेहतर जानता होगा।

“मेरे प्रभु!
मुझे इतनी ऊँचाई कभी मत देना
गैरों को गले न लगा सकूँ
इतनी रुखाई कभी मत देना।”

आज अटल जी के 93वें जन्मदिवस पर उनकी कविता पाठ का फिरसे आनंद लिया और इतनी अविस्मरणीय अनुभूति होती है की आंसुओं के बिना शायद ही कभी रहा जाये! सहसा ही ख़ुशी इतनी मिल जाती है ये सोच के मुझे भी बचपन में ये सौभाग्य मिला की उनके जैसा इंसान मेरे देश का प्रधानमंत्री रहा! राष्ट्रवाद जिसमें कूट-कूट कर भरा हो एवं निज-स्वार्थ की तनिक भी लालसा नहीं – क्या इंसान हैं अटल जी! भगवान से यही प्रार्थना करता हूँ की उनको दीर्घायु एवं निरोगी जीवन प्रदान करें और देश के राजनेताओं को उनके जीवन से सिखने की प्रेरणा दें! कवियों को भी अटल की की कविताओं से प्रेरणा लेना चाहिए और अपनी कविताओं में उन्माद के साथ-साथ निर्मलता और स्थायित्व लाने का प्रयत्न करना चाहिए!

 

Alok Mishra

First and foremost a poet, Alok Mishra is an author next. Apart from these credentials, he is founder & Editor-in-Chief of Ashvamegh, an international literary magazine and also the founder of BookBoys PR, a company which helps writers brand themselves and promote their books. On this blog, Alok mostly writes about literary topics which are helpful for literature students and their teachers. He also shares his poems; personal thoughts and book reviews.

This Post Has 2 Comments

  1. वाह !
    बहुत सुंदर भावो से, महाकवि अटल बिहारी वाजपेयी जी के जन्म दिन के शुभ अवसर पर, उनकी कविता का अपने शब्दो में किया ।
    लाजवाब

  2. अटलजी अपने नाम के स्परूप ही अटल हैं भारतीय राजनीती में और भारतीय कवियों के श्रेणी में। इस लेख में जिसप्रकार अटलजी की कविताओं और उनके प्रखर वयक्तित्व का परिचय दिया गया है मनो अटलजी को दोबारा अपने कानो से ही सुन रहा हूँ।

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